देहरादून: विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है। पहले दिन 75 देसी विदेशी पर्यटकों ने फूलों की घाटी का दीदार किया। फूलों की घाटी में इस साल समय से पहले 12 से अधिक प्रजाति के फूल खिले हैं। फूलों की घाटी छह सौ से अधिक फूलों की प्रजातियों का घर है, जिसमें ब्रह्मकमल जैसी कुछ फूलों की किस्में भी शामिल हैं, जो उत्तराखंड का राज्य फूल भी है। अन्य किस्मों में ब्लू पोस्पी शामिल हैं, जिन्हें फूलों की रानी, ब्लूबेल, प्रिमुला, पोटेंटिला, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पोपी, डेल्फीनियम और रैनुनकुलस आदि हैं। नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ नंद बल्लभ शर्मा का कहना है कि आज फूलों की घाटी में 75 देसी विदेशी पर्यटकों ने घाटी का दीदार किया जिसमें एक विदेशी पर्यटक भी शामिल है, घाटी में अभी 12 से अधिक प्रजाति के फूल खिले हैं।
क्या है फूलों की घाटी का इतिहास ?
फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतरोही फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में किया था। कॉमेट पर्वत फतह करने के बाद फ्रैंक स्मिथ और उसके साथी आरएल होल्डवर्थ जब रास्ता भटक गए तो वे यहां पहुंचे उन्होंने फूलों की खूबसूरत नजारे को देखकर दंग रह गए। कुछ दिन यहां रहे और इसको वैली ऑफ फ्लावर के नाम से याद किया गया। फिर इन्होंने वैली ऑफ फ्लावर नाम से एक किताब प्रकाशित किया जिसने पूरे वनस्पति जगत में तहलका मचा दिया था। तबसे पर्यटक फूलों की घाटी आने लगे हैं। फूलों की घाटी दुनिया की इकलौती जगह जहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। यूनिस्को ने 2005 में इसको विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया था।