नई दिल्ली: उत्तराखंड विधानसभा में बैक डोर से 2016 मे भर्ती हुए अभ्यर्थियों को आज सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यह भर्ती सुप्रीम कोर्ट गए थे और आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिका को निरस्त कर दिया है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का बयान सामने आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
दरअसल विधानसभा अध्यक्ष ने हाल ही में 2016 से अब तक विधानसभा में भर्ती हुए 228 कर्मियों को नियम विरुद्ध मानते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद इन कर्मियों ने कोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया हालांकि डबल बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया और बर्खास्तगी जारी रखी। इसके बाद बर्खास्त किए गए कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और उन्होंने याचिका डाली। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भी कैविएट दाखिल किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए जो एसएलपी डाली गई थी उसे कोर्ट ने स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके बार कर्मियों के वकील ने याचिका वापस ले ली। इसके साथ ही विधानसभा से बर्खास्त किए गए कर्मियों को राहत मिलने का रास्ता बंद होता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने महज डेढ़ मिनट में ही सुनवाई पूरी कर ली और याचिका को खारिज कर दिया।
"मैं धन्यवाद करती हूं सर्वोच्च न्यायालय का जिन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर लिए गए मेरे फैसले को सही ठहराया है। pic.twitter.com/kHc1HBuOMf
— Ritu Khanduri Bhushan (@RituKhanduriBJP) December 15, 2022
आपको बता दें कि इस संबंध में तीन पिटिशन कोर्ट में डाली गईं थीं। तीनों ही पिटिशन पर एक साथ सुनवाई की गई। दिलचस्प ये है कि इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पक्ष रखने के लिए भारत से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। हाईकोर्ट की डबल बेंच में विधानसभा का पक्ष रखने वाले एडवोकेट अमित तिवारी भी विधानसभा की ओर से पैरवी कर रहे थे। जबकि विधानसभा से निकाले गए, कर्मचारियों की पैरवी एडवोकेट विमल पटवालिया कर रहे थे। अभिषेक मनु सिंघवी को भी पैरवी के लिए पहुंचना था, लेकिन वह पैरवी के लिए नहीं पहुंचे।