नैनीताल : पलायन आयोग की रिपोर्ट की बात करे तो राज्य गठन से लेकर अब तक 1702 से ज्यादा गांव पलायन की वजह से पूरी तरह से खाली हो चुके है। अब उत्तराखंड में पलायन के कारण खाली हो चुके नैनीताल जिले के वीरान गांवों में होम स्टे विकसित किए जा रहे हैं। अहमदाबाद की एक फर्म के साथ मिलकर उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने यह योजना शुरू की है। इसके तहत विभाग ने नैनीताल के पास कुंजखड़क गांव के आसपास के इलाकों को चिह्नित किया है, जहां कम्युनिटी बेस होम स्टे शुरू करने की तैयारी है। विभाग इन गांवों में खंडहर हो चुके मकानों को ठीक कर पर्यटकों को ठहरने की सुविधा देगा। योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन विकास के साथ ही खाली गांवों का इस्तेमाल फिल्म निर्माण के लिए करने की भी योजना है।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताा कि योजना के तहत नैनीताल जिले में करीब 24 गांव चिह्नित किए हैं। इनमें कुछ की पौराणिक व रोचक कहानियां हैं। कुछ बेहद अच्छी लोकेशंस पर स्थित हैं। फिल्म निर्माण के लिए भी योजना अच्छी साबित हो सकती है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। पर्यटन विभाग ऐसे गांवों को स्थानीय लोगों के साथ ही निवेशकों की मदद से विकसित करेगा।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग को यह विचार विदेशों में इस तरह की पहल को देखकर आया है। इटली में कई पुराने खाली हो चुके गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। जहां प्रतिवर्ष विश्वभर से बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने जाते हैं। इसी तर्ज पर पर्यटन विभाग ने प्रदेश के ऐसे कुछ गांवों को चिह्नित करना शुरू किया है। उत्तरकाशी की नेलांग घाटी के जादूंग गांव और गर्तातोली की सीढ़ियों को इसी तर्ज पर विकसित किया गया है। यह गांव 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद खाली करा दिए गए थे।
वही धीराज गब्र्याल डीएम नैनीताल का कहना है कि पलायन रोकने को होम स्टे योजना काफी कारगर है। खाली हो चुके कई गांव बहुत अच्छी लोकेशन्स और इलाकों में स्थित हैं। इन्हें सही तरीके से विकसित किया जाए तो यह राज्य की आर्थिकी के साथ स्वरोजगार का सबसे अच्छा माध्यम बन सकते हैं। इस तरह लोग उत्तराखंड की कला संस्कृति से भी जुड़ पाएंगे। कुल मिलाकर कहें तो उत्तराखंड के लिहाज से ये एक बेहतरीन खबर साबित हो सकती है