नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट में कैबिनेट मंत्री पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के चुनाव को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की गई। हाईकोर्ट ने अग्रवाल और केंद्रीय चुनाव आयोग समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। इससे प्रेमचंद अग्रवाल की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। ये नोटिस चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए विवेकाधीन कोष का प्रयोग करने के मामले में जारी किया गया है। मामले में याचिकाकर्ता ने अग्रवाल के चुनाव प्रमाण पत्र को निरस्त करने की मांग की गई है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए छः सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
ऋषिकेश निवासी कनक धनै ने चुनाव याचिका दायर कर कहा है कि प्रेमचंद अग्रवाल ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान विवेकाधीन राहत कोष से करीब पांच करोड़ रुपए निकालकर लोगों को डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से बांटा है, जिसकी स्वीकृति विधानसभा सचिव द्वारा दी गयी थी। ये डिमांड ड्राफ्ट ₹4,975 के बनाए गए हैं, जिनमे 3 फरवरी और 9 की तिथि डाली गई है। ये डिमांड ड्राफ्ट उन्होंने सबूतों के तौर पर अपनी याचिका में लगाये गए है। मामले में कोर्ट ने सुनवाई की है।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए प्रेमचंद अग्रवाल, चुनाव आयोग भारत सरकार, चुनाव आयोग उत्तराखंड, राज्य सरकार, स्पीकर लेजिस्लेटिव असेंबली विधानसभा भवन देहरादून, जिला अधिकारी देहरादून, एसडीएम/रिटर्निंग ऑफिसर, ऋषिकेश जिला कोषागार अधिकारी देहरादून को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। इससे पहले कोर्ट की रजिस्ट्री की ओर से चुनाव याचिका पर लगाई गई आपत्तियों को याचिकाकर्ता ने दूर कर दिया है। कोर्ट ने इन आपत्तियों को दूर करने के लिए याचिकाकर्ता को दो बार 24 घंटे का समय दिया था।