Uttarakhand: स्टेजिंग एरिया पुस्तक की लिखित सारगर्भित समीक्षा

देहरादून: राजकीय महाविद्यालय रामनगर के मैदान और सभागार ने कोरोना काल के सबसे त्रासद समय में स्टेजिंग एरिया के रूप में एक महामारी का सामना पूरी निर्भीकतापूर्वक किया। इस स्वास्थ्य युद्ध के नायकों में से एक मितेश्वर आनंद जी ने अपने अनुभवों को एक सहज प्रवाह पुस्तक स्टेजिंग एरिया में संकलित किया है। कोरोना की विभीषिका के मध्य उद्वेलित मानवीय संवेदनाओं, विवषताओं और अन्तर्द्वन्द्व के अभिलेख के रूप में स्टेजिंग एरिया एक अद्वितीय कृति है।

मितेश्वर आनंद जी द्वारा रिपोर्ताज शैली में लिखी यह पुस्तक प्रत्येक घटना को कुछ इस तरह से  छूती है कि पाठक स्वयं को उसके आसपास पाता है। ‘मैं ख़ुद पर आग घाल दूँगी ‘ में जो छटपटाहट दिखाई देती है वही      ‘गरिमामयी नेपाली दंपति में सौम्यता से सराबोर करती है।

अनुनय, विनय, आग्रह, ज़िद, धौंस, धमकी जैसी सभी मानवीय श्रेष्ठताओं और धृष्टताओं का सामना करते हुए सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों का जान जोखिम में लेकर सहनशीलता से  सेवा करना भी एक ऐसा पक्ष है जो प्रायः अनदेखा रह जाता है। ‘हमारा दफ़्तर तुन का पेड़’ यही अनुभव कराता है।

यह पुस्तक अपने ४४ अध्यायों में मानवीय संवेदनाओं के सभी पक्षों का उत्कृष्ट आकलन करती है। अंतिम अध्याय में सभी कोरोना योद्धाओं का परिचय पुस्तक को अधिक प्रामाणिक बनाता है। ये पढ़कर अच्छा लगा कि समाज के विभिन्न वर्गों ने आपदा के समय अपनी सकारात्मक भूमिका निभाई है। लेखक के रूप में मितेश्वर जी को बधाई और कोरोना योद्धा के रूप में उनका संपूर्ण टीम के साथ अभिनन्दन। आशा है हैंडल पैंडल की ही भाँति ये पुस्तक भी सर्वप्रिय होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *