- बाल विवाह बच्चों के बचपन के लिए अभिशाप: कुसुम कण्डवाल
देहरादून: उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की शपथ ली गई।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि आज भी विभिन्न जगहों में बाल विवाह होते हैं जोकि एक दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की शादी गैर कानूनी और अमान्य मानी जाती हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है, या करने में उसकी किसी भी प्रकार से सहायता करता है, उसे बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के तहत दो साल तक की कैद या 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
आज आयोग के कार्यालय में शपथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां आयोग के समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को बाल विवाह से आजादी की शपथ दिलाई गई। साथ ही आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल द्वारा बाल विवाह को राकने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रेरित किया गया।अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने सदस्य सचिव व विधि अधिकारी सहित सभी कर्मचारियों को बाल विवाह से आजादी की शपथ दिलाई गई। जिसमें अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने शपथ दिलाई कि हम सत्यनिष्ठा पूर्वक संकल्प लेते है कि 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के व लड़कियों का विवाह नहीं करेंगे। हम ऐसे किसी भी आयोजन में शामिल नहीं होंगे जहां बाल विवाह किया जा रहा हो, कम उम्र की शादी एक सामाजिक बुराई व कानूनी अपराध है। अतः हम प्रण करते है कि इसकी रोकथाम के लिए हम हर सम्भव प्रयास करेंगे, हम अपने राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने की प्रतिज्ञा करते है।
इस दौरान अध्यक्ष ने कहा कि बाल विवाह बचपन के अभिशाप व बच्चों के जीवन पर प्रहार है। कम उम्र में शादी होने से बच्चों का बचपन, उनके पढ़ने लिखने इत्यादि का सब हक छिन जाता है।
इस मौके पर सदस्य सचिव उर्वशी चौहान, विधि अधिकारी दयाराम सिंह, प्रसाशनिक अधिकारी नारायण तोमर, उपनिरीक्षक स्वाति चमोली, कॉन्स्टेबल अशोक कुमार, आधार वर्मा आदि मौजूद रहे।