देहरादून: प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी जसरो टॉलरेन्स के लिए जाने जाते हैं। भ्र्ष्टाचार के खिलाफ मुखर होकर काम करते हैं। इस बार राज्य कर विभाग के 3 अधिकारी ससपेंड कर दिए गए। सवाल अब इस पर उठ रहे हैं।
दरअसल पिछले दिनों देहरादून के रेलवे गोदाम पर छापा मारा गया था। खबर ये आई थी कि ये छापा टैक्स चोरी की शिकायतें मिलने के बाद सीएम धामी के आदेश पर मारा गया। पाया गया कि टैक्स चोरी हो रही है।
इस मामले पर ही ये कार्रवाई हुई है। अब समझिए। ऐसी जगह पर टैक्स विभाग की मोबाइल टीम रहती है। वो टैक्स का ठीक आंकलन खासकर रेलवे के मामले में नहीं कर सकते, क्योंकि रेलवे गोदाम में अलग अलग राज्यों से माल आता है। इसकी टैक्स चोरी पकड़ना उस अमुक राज्य का मामला है जहां से बिलिंग हुई है। ये नीतिगत मामला है। इसमें अगर राज्य का टैक्स विभाग माल पकड़ता भी है और उसको लगता है टैक्स चोरी हुई है तो जिस राज्य से वो माल आया है उसको लेटर भेजकर टैक्स चोरी संबंधी शिकायत भेजी जाती है, बस।
रेलवे में टैक्स चोरी की समस्या पूरे देश की है। ये एक बड़ा गैंग है। हर राज्य के टैक्स चोर इसमें लिप्त हैं।
अब राज्य के 3 अफसर जिनमें दो बहुत बड़े अधिकारी हैं एक संयुक्त आयुक्त और एक उपयुक्त को ससपेंड किया गया है तो सवाल नीतिगत बनता है।
- क्या मामले की जांच कराई गई और उसके उपरांत की कार्रवाई की गई ?
- क्या संयुक्त आयुक्त या उपायुक्त किस जांच में दोषी पाए गए ?
- पूरे मामले की जांच किसने की ?
- अगर जांच हुई तो कार्रवाई से पहले जांच रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं हुई कि कौन कौन दोषी पाए गए ?
- अधिकारियों के सस्पेंशन से पहले ये खबर सार्वजनिक कैसे हो गयी कि फ़ाइल CM के पास है? जबकि ये गोपनीय है।
खैर, मामला गंभीर है और मामले की बिना गहन जांच के आनन फानन में लिए गए निर्णय पर उठ रहे हैं। आगे देखते हैं, क्या क्या होता है। दूध का दूध और पानी का पानी तो होगा ही।