- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
- किया नोटिस जारी
- सात दिन में 50 हजार लोगों को इस तरह से नहीं हटाया जा सकता
- पुनर्वास की व्यवस्था क्या है
- भूमि की प्रकृति क्या रही है
- इन सवालों पर जवाब दें रेलवे
हल्द्वानी: बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हजारों लोगों को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। आपको बता दें कि 8 जनवरी को हल्द्वानी में नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने वाला था, अब फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय से लोगों को बड़ी राहत मिली है।
उत्तराखंड सरकार और रेलवे को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाके में नए निर्माण पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 फरवरी की तारीख तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 दिन में अतिक्रमण हटाने का फैसला सही नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय कौल ने कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से देखना चाहिए। जस्टिस कौल ने कहा कि मामले में समाधान की जरूरत है।
आरोप है कि हल्द्वानी में करीब 4400 हजार परिवार रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर के रहते हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में रेलवे को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद इन घरो में रहने वाले करीब 50 हजार लोगों के आशियाने पर बुलडोजर चलने का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन अब अगली सुनवाई तक इन लोगों को राहत मिल गई है।
इस जमीन पर कई साल पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए और धीरे-धीरे बस्तियां बसती चली गईं। दरअसल यह मामला साल 2016 में शुरू हुआ। संबंधित मामले में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण खाली करने को कहा था, लेकिन उस समय रेलवे की जमीन पर बसे लोगों की दलील थी कि उनके तथ्यों को नहीं सुना गया। जिसके बाद से यह मामला लगातार हाई कोर्ट में चलता रहा। बीते माह 20 दिसंबर को नैनीताल हाई कोर्ट ने रेलवे की भूमि में रह रहे अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देकर हटाने का निर्देश दिया गया था। जिसके बाद रेलवे और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी। आज सुप्रीम कोर्ट नैनीताल के हाई कोर्ट पर रोक लगा दी है।