नई दिल्ली। देश की ग्राम पंचायतें अपनी जरूरतभर बिजली का उत्पादन करने के साथ सरप्लस (अतिरिक्त) बिजली बेच भी सकती हैं। इस संबंध में हुए अध्ययन और गहन विचार-विमर्श के बाद पंचायती राज मंत्रालय ने मसौदा तैयार कर लिया है। आगामी वित्त वर्ष में इस संबंध में राज्यों में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरु कराए जाएंगे। इस बारे में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि ऊर्जा के क्षेत्र में पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्यों को साथ लिया जाएगा। इस संबंध में कई दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसे अब आगे बढ़ाया जाएगा।
पंचायती राज मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में कुल 2.63 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। लगभग सभी पंचायतों में सरकारी भवन बनाए गए हैं, जिनमें पंचायत भवन, सरकारी स्कूल, बारात घर, सामुदायिक भवन, गोदाम, सराय और धर्मशालाएं भी हैं। इन भवनों का रखरखाव ग्राम पंचायतें ही करती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की पर्याप्त संभावनाओं के मद्देनजर इस तरह की योजना को प्रोत्साहन दिया जाएगा। मंत्रालय की मंशा है कि आत्मनिर्भर भारत के लिए पंचायतों का ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना जरूरी है।
सभी राज्यों से ग्राम पंचायतों के सरकारी भवनों का मांगा गया लेखाजोखा
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासकों को इस संबंध में पत्र लिखकर उनसे इस योजना को अमली जामा पहनाने का आग्रह किया है। पत्र के साथ विभिन्न राज्यों की उन ग्राम पंचायतों का हवाला दिया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कर खुद को आत्मनिर्भर ही नहीं बनाया है, बल्कि सरप्लस ऊर्जा से आमदनी भी करने में सफल हुई है। सभी राज्यों से ग्राम पंचायतों के सरकारी भवनों का लेखाजोखा मांगा गया है। इन भवनों का छतों पर सौर ऊर्जा के पैनल लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा खाली जमीनों पर संयुक्त गोबर गैस प्लांट स्थापित किया जा सकता है। खेती के तीनों सीजन से निकलने वाली अतिरिक्त पराली का उपयोग सीएनजी बनाने में किया जा सकता है। जिन ग्राम पंचायतों में पानी के बहाव वाली जल धाराएं हैं, उसका उपयोग पन बिजली उत्पादन किया जा सकता है। इन संभावनाओं का दोहन करने के लिए सभी स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।