देहरादून: प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजों में अब 55 साल तक के शिक्षक भी विभागीय सीधी भर्ती के माध्यम से प्रधानाचार्य बन सकेंगे। साथ ही, प्रवक्ताओं के लिए B.Ed की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। इस संबंध में उत्तराखंड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली 2022 में संशोधन को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। निर्णय के अनुसार, राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के 50% पद विभागीय सीधी भर्ती से और शेष पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे।
अब 15 साल की सेवा पूरी कर चुके सहायक अध्यापक (एलटी) भी प्रधानाचार्य पद के लिए पात्र माने जाएंगे। वहीं वे प्रधानाध्यापक, जिन्होंने भर्ती वर्ष के प्रथम दिवस तक दो वर्ष की मौलिक सेवा पूरी कर ली है, और वे सहायक अध्यापक एलटी, जो प्रवक्ता के पद पर 10 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके हैं — वे सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से भी आवेदन कर सकेंगे।
गौरतलब है कि बीते वर्ष जब विभागीय सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, तो शिक्षकों के विरोध के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद एक समिति का गठन कर सुझाव मांगे गए, जिनके आधार पर संशोधित नियमावली तैयार की गई, जिसे अब कैबिनेट से हरी झंडी मिल गई है।
राज्य के 1385 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 1190 में प्रधानाचार्य नहीं हैं, जबकि प्रधानाध्यापकों के 923 पदों में से 808 पद भी रिक्त पड़े हैं।
इस संशोधन से उम्मीद की जा रही है कि शैक्षणिक व्यवस्थाओं में सुधार आएगा और विद्यालयों को स्थायी नेतृत्व मिल सकेगा।