नंद घर आनंद भयो..जय कन्हैया लाल की, धूमधाम से मनाया कान्हा का जन्मोत्सव, गूंजे जयकारे

Krishna Janmashtami  2022: देहरादून के महोब्बेवाला गीता सत्संग भवन मंदिर में भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रही। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है और भजन-कीर्तन भी आयोजित किए गए। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर नन्हें-मुन्हें बच्चे राधा-कृष्ण की वेशभूषा में नजर आए। पूजा अर्चना के साथ परिवार के लिए प्रार्थना की गई। इस दौरान शुभ मुहूर्त पर श्रद्धालुओं ने अपने व्रत खोले।

महोब्बेवाला के गीता सत्संग भवन मंदिर को रंगीन झालरों से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने दिन भर उपवास रखने के बाद कन्हैया की आराधना की, और उनके जन्म के बाद उपवास खोले। मंदिर में देर रात पूजा अर्चना की गई। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों द्वारा भगवान कृष्ण और राधा पर आधारित गीतों को प्रस्तुत किया गया जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया। इस मौके पर छोटे बच्चों ने कृष्ण और राधा पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए। बच्चों ने आर्कषक मटकी, मुकुट और बांसुरी डेकोरेशन प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।

 

पं.देवी प्रसाद काण्डपाल ने सभी को पर्व की शुभकामनायें दी और श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  पं.देवी प्रसाद काण्डपाल ने कहा कि नटखट श्री कृष्ण को सनातन संस्कृति को मनाने वाले लोग अपने ईष्ट देवता के रूप में पूजते है। इसी कारण उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं का स्मरण करते हुए उनके जन्मोत्सव को त्योहार के रूप में मनाते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्मटी के दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की कारागर में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जब भाद्रपद मास की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो उसे बहुत ही शुभ माना जाता है। श्री कृष्ण का जन्म वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से आंठवी संतान के रूप में हुआ था।

 जन्‍माष्‍टमी के व्रत का महत्व-

ज्‍योतिष के अनुसार उन लोगों को जन्‍माष्‍टमी का व्रत जरूर करना चाहिए, जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है। निर्बल चंद्रमा मानसिक तनाव, अनिर्णय की स्थिति, पितृ दोष जैसी समस्‍याएं देता है। इस कारण व्‍यक्ति के कामों में रुकावटें आती हैं, उसे मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। जन्‍माष्‍टमी का व्रत करने से उन्‍हें इन समस्‍याओं से राहत मिलेगी। साथ ही जो लोग संतान सुख पाना चाहते हैं उन्‍हें भी विधि-विधान से यह व्रत करना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान गीता सत्संग समिति के अध्यक्ष श्री एम.एम पांथरी, कोषाघ्यक्ष श्री कमल सुंद्रियाल, सचिव श्री जसवंत सिंह नेगी सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।

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