पशुओं पर कहर बरपा रहा लंपी वायरस, पहाड़ों में भी पहुंचा संक्रमण, कैसे करें पशुओं का बचाव

  • लंपी स्किन डिजीज गाय, भैंस, भेड़ और बकरी में बेहद तेजी से फैलती है…
  • इंसानों को लंपी वायरस का खतरा नहीं होता, लेकिन सावधानी बरतनी जरूरी…
  • पौड़ी जिले के हजारों पशु लम्पी वायरस की चपेट में…

देहरादून: लंपी वायरस इस वक्त पशुओं पर कहर बनकर टूट रहा है। उत्तराखंड में इन दिनों मैदानी क्षेत्रों से लेकर पहाड़ी जिलों तक पशुओं में लम्पी वायरस का संक्रमण फैला हुआ है। हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर के बाद अब पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी व चमोली जिले में भी पशुओं में लंपी बीमारी के मामले सामने आए हैं। पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अब तक 14805 मवेशी बीमारी की चपेट में आए हैं। जबकि कुल 209 की मौत हुई है। 4500 रोग से बीमार पशु उपचार के बाद ठीक हुए हैं। संक्रमण की रोकथाम व बचाव के लिए पशुपालन विभाग ने चार लाख गोटपॉक्स वैक्सीन का ऑर्डर भेजा है। रोग से प्रभावित पर्वतीय क्षेत्रों में पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। लंपी वायरस ने उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में आतंक मचा रखा है।

पौड़ी जिले में करीब 1 हजार से अधिक पशुओं में लम्पी बीमारी के लक्षण पाये गए हैं। जबकि विभाग को करीब छः पशुओं के इसकी चपेट में होने की आशंका है। एहतियात के तौर पर जिलाधिकारी ने जिले में पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है। पशुपालन विभाग को बीमारी के प्रभावी नियंत्रण को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए है। अभी तक 8 पशुओं की इस बीमारी से मौत हो चुकी है।

क्या है लंपी वायरस – साल 2019 में पहली बार भारत में इस वायरस की दस्तक हुई थी, यह त्वचा का एक रोग है, जिसमें स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं। इसे एलएसडीवी कहते हैं. यह एक जानवर से दूसरे में फैलता है। यह कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण ही फैलता है। जानकारी कहती है कि यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है।

क्या है लंपी वायरस के लक्षण –लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना,वजन में कमी,आंखों से पानी टपकना,लार बहना,शरीर पर दाने निकलना,दूध कम देना और भूख नहीं लगाना है। इसके साथ ही उसका शरीर दिन प्रतिदिन और खराब होते जाना ।

कैसे करें बचाव-

  • लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें।
  • मक्खी,मच्छर,जूं आदि को मार दें।
  • पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें।
  • पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
  • इस वायरस के आक्रमण से ज्यादातर पशुओं की मौत हो जाती है।
  • गाय के संक्रमित होने पर दूसरे पशुओं को उससे अलग रखें।

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