बजट में प्रस्तावित डिजिटल यूनिवर्सिटी को लेकर छात्रों को लंबा इंतजार नहीं करना होगा। ज्यादा संभव है कि यूनिवर्सिटी इसी साल अगस्त से काम करने लगेगी। इनमें डिग्री, डिप्लोमा व सर्टिफिकेट सहित सभी कोर्सों की पढ़ाई होगी। सीटों पर भी किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं रहेगी। शिक्षा मंत्रालय डिजिटल यूनिवर्सिटी को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) सहित शिक्षा से जुड़े दूसरी सभी एजेंसियों और विशेषज्ञों के साथ अब तक करीब आधा दर्जन बैठकें कर चुका है।
कालेज भी होंगे शामिल
इसमें दुनिया में संचालित डिजिटल यूनिवर्सिटी की जानकारी भी साझा की गई। फिलहाल जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक यूनिवर्सिटी खुद का कोई भी कोर्स नहीं शुरू करेगी वरन देश भर के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के कोर्सों को ही उपलब्ध कराएगी। इनमें केंद्रीय विश्वविद्यालय और इनसे संबद्ध कालेज भी शामिल होंगे।
आनलाइन क्लास लेना होगा अनिवार्य
हालांकि इन कोर्सों की पढ़ाई डिजिटल यूनिवर्सिटी के जरिये ही कराई जाएगी। ऐसे में कोर्सों की गुणवत्ता और दाखिले को सुनिश्चित करने का जिम्मा उसके पास होगा। यह पढ़ाई भी रेगुलर मोड में संचालित कोर्सों की तरह ही होगी। जिसमें छात्रों को घर बैठे ही आनलाइन क्लास लेना अनिवार्य होगा। यूनिवर्सिटी सभी छात्रों को इसके लिंक उपलब्ध कराएगी।
आएगी यह समस्या
इस बीच देश के सभी गांवों को तेजी से ब्राडबैंड से जोड़ने पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों के मुताबिक जब तक सभी गांव ब्राडबैंड और इंटरनेट सेवा से नहीं जुड़ जाते तब तक डिजिटल यूनिवर्सिटी को बड़े स्तर पर शुरू करने में दिक्कत होगी। अगले साल तक इस काम को पूरा करने की योजना है। मौजूदा समय में देश में करीब साढे़ छह लाख गांव हैं। इनमें अब तक करीब ढाई लाख गांव ब्राडबैंड से जुड़ गए हैं। बाकी गांवों तक भी ब्राडबैंड की लाइन डालने का काम तेजी से चल रहा है।
अच्छे संस्थानों में पढ़ने की चाहत होगी पूरी
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो अप्रैल तक इसका पूरा स्वरूप तय कर लिया जाएगा। इस विवि के शुरू होने से छात्रों की अच्छे संस्थानों में पढ़ने की चाहत पूरी होगी। अब तक इन संस्थानों में सीटों की संख्या में सीमित रहने से उन्हें दाखिला नहीं मिल पाता था।