नैनीताल हाईकोर्ट में शुक्रवार को अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान अंकिता भंडारी के माता पिता को याचिका में पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि आपको एसआईटी की जांच पर क्यों संदेह हो रहा है ?, इस सवाल का जवाब विस्तार में देने को कहा है।
आज सुनवाई के समय अंकिता की माता सोनी देवी व पिता बीरेंद्र सिंह भंडारी ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने व दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर याचिका में अपना प्रार्थना पत्र दिया। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि एसआईटी इस मामले की जाँच में लापरवाही कर रही है। इसलिए इस मामले की जाँच सीबीआई से कराई जाए। सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है। सबूत मिटाने के लिए रिसार्ट से लगी फैक्टरी को भी जला दिया गया। कई सबूत मिल सकते थे। मांता पिता का यह भी कहना है कि फैक्ट्री में खून के धब्बे देखे गए थे। सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिला अधिकारी का स्थानान्तरण तक कर दिया। मांता पिता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार के इशारे पर एसआईटी सही तरीके से जांच नहीं कर रही है।
जांच अधिकारी कोर्ट को नहीं कर पाए संतुष्ट
सुनवाई के दौरान एसआईटी ने अपना जवाब पेश किया। न्यायालय ने जाँच अधिकारी से पूछा कि फॉरेंसिक जांच में क्या साक्ष्य मिले ? जिस पर जांच अधिकारी कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाए। उनके द्वारा कहा गया कि कमरे को ध्वस्त करने से पहले सारी फोटोग्राफी की गई है। अंकिता के कमरे से एक बैग के अलावा कुछ नहीं मिला। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर की तिथि नियत की है।
केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है
अंकिता के माता-पिता ने कहा कि सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी का स्थानांतरण तक कर दिया। उन पर इस केस को वापस लिए जाने का दवाब डाला जा रहा है। उन पर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उन पर इस केस को वापस लिए जाने का दवाब डाला जा रहा है। उनपर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है।
गौरतलब है कि इस मामले को सबसे पहले उठाने वाले पत्रकार आशुतोष नेगी ने अंकिता हत्याकांड की जाँच को लेकर एक याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि पुलिस व एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रहे है। एसआईटी द्वारा अभी तक अंकिता की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट तक सार्वजनिक नही की। जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था उसकी दिन शाम को उनके परिजनों के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया गया। जब अंकिता का मेडिकल हुआ था पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में उसका मेडिकल कराया गया। यह मेडिकल की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के विरुद्ध है। मेडिकल कराते समय एक महिला का होना आवश्यक था जो इस केस मे पुलिस द्वारा नही किया। जिस दिन उसकी हत्या हुई थी उस दिन छह बजे पुलकित उसके कमरे में मौजूद था वह रो रही था। याचिका में यह भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है, जिसे पुलिस नही मान रही है। पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है। इसलिए इस केस की जाँच सीबीआई से कराई जाए।