रणवीर इनकाउंटर में दोषी इन पुलिसवालों को जमानत, वर्दी में खेला गया था खूनी खेल

देहरादून: रणवीर मुठभेड काण्ड में 13 साल से जेल में बंद एक इंस्पेक्टर, तीन दरोगा व कांस्टेबल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हर्षवीर प्रताप ने पुलिसकर्मियों की तरफ़ से मज़बूत पैरवी की। उन्होंने बताया कि जेल में बंद सात पुलिस कर्मियों में से दरोगा चन्द्रमोहन सिंह रावत व राजेश बिष्ट को 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी थी।

आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर सुनवायी के बाद तत्कालीन डालनवाला कोतवाली संतोष जयसवाल, गोपाल दत्त भट्ट, तत्कालीन एसओजी प्रभारी नीतिन चौहान, नीरज यादव व कांस्टेबल अजीत को जमानत पर रिहा करने के आदेश कर दिये हैं।

वर्दी में खेला गया था खूनी खेल

रणवीर एनकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस के दामन पर कभी न धुलने वाला दाग लगाया है। उत्तराखंड में खाकी ने 2009 में फर्जी इनकाउंटर के नाम पर जो खूनी खेल रचा, उसने पुलिस पर कभी न धुले जाने वाला धब्बा लगा दिया। उस वारदात को यादकर आज भी लोग सहम जाते हैं। गाजियाबाद निवासी और देहरादून से एमबीए करने वाले छात्र रणबीर सिंह के फेक इनकाउंटर की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। मामले की जांच सीबीआई (CBI) को देनी पड़ी थी।

मामला ये था कि तीन जुलाई, साल 2009 के दिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल उत्तराखंड के दौरे पर थीं। उन्हें देहरादून में जौलीग्रांट से मसूरी जाना था। रणवीर अपनी बाइक से दोस्त रामकुमार के साथ मोहिनी रोड पर अशोक कुमार से मिलने गया। अशोक रामकुमार का दोस्त था। जिस जगह पर दोनों अशोक का इंतजार कर रहे थे, वहां पर आराघर चौकी इंचार्ज जेडी भट्ट वाहनों की चेकिंग कर रहे थे।

राष्ट्रपति के काफिले की सूचना मिलने पर चौकी इंचार्ज इंचार्ज जेडी भट्ट ने वाहन चालकों को वहां से हटने के लिए कहा। रणवीर सिंह को उन्होंने संदिग्ध मानकर पूछाताछ की विवाद हो गया। इस पर चौकी इंचार्ज ने उसे गालियां दीं और उसकी बाइक पर डंडा दे मारा तब तक वहां पर अशोक भी आ गया था। इससे नाराज रणवीर सिंह और उसके दोस्तों ने चौकी इंजार्च को पीट दिया।

जिसपर पुलिस रणवीर को पकड़कर चौकी ले गई। रणबीर के परिजनों का आरोप है कि यहां पर उसे थर्ड डिग्री देकर टार्चर किया गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। अपना जुर्म छुपाने के लिए पुलिस उसे गाड़ी में डालकर लाडपुर के जंगल में ले गई, जहां पर फर्जी मुठभेड़ की कहानी गढ़कर उसकी हत्या कर दी गई है। इस कहानी को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी तस्दीक करती है। रिपोर्ट में कहा गया था कि रणवीर के शरीर में 28 चोटें पाई गई हैं। इसी हकीकत को आधार बनाकर परिजनों ने पुलिस के खिलाफ जंग जीती है।

मामले में अब सुप्रीम कोर्ट  ने इंस्पेक्टर संतोष कुमार जैसवाल, सब इंस्पेक्टर नितिन चौहान, नीरज यादव, जी.डी भट्ट और कांस्टेबल अजीत को जमानत मिल गई है। अब भी पांच सुद्धोवाला जेल में बंद में थे।

किन पर क्या थे आरोप-

  • हत्या, अपहरण व आपराधिक षड्यंत्र : तत्कालीन इंस्पेक्टर डालनवाला एसके जायसवाल, आराघर चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबल अजीत सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश बिष्ट ,सब इंस्पेक्टर नीरज यादव व चंद्रमोहन
  • साक्ष्य छिपाना : सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्र पाल, सुनील सैनी, नागेंद्र राठी व संजय रावत
  • सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ व साक्ष्य मिटाना : इंद्र भान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुसाईं व मनोज कुमार

 मुठभेड का घटनाक्रम

  • 3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या।
  • 4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया।
  • 5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट आई, 25 चोटे, 22 गोली घंसी।
  • 5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश।
  • 6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा।
  • 7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने शुरू की जांच।
  • 8 जुलाई को नेहरु कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया।
  • 8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश।
  • 31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर शुरू की जांच।
  • 4 जून को दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला सुरक्षित।
  • 6 जून को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया।

 

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