राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का निधन, सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर बिताई सादगी से जिंदगी

नई दिल्लीमहात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का महाराष्ट्र के कोल्हापुुर में निधन हो गया। वो 89 साल के थे और कई महीनों से बीमार भी थे उनका अंतिम संस्कार बुधवार को कोल्हापुर में ही किया जाएगा अरुण गांधी का जन्म 1934 में डरबन में हुआ था और वो अपने दादा के विचारों से अत्यंत प्रभावित थे। वो सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी जाने जाते थे

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में निधन हो गया 89 साल के लेखक और सामाजिकराजनीतिक कार्यकर्ता अरुण गांधी का अंतिम संस्कार बुधवार को कोल्हापुर में किया जाएगा

14 अप्रैल, 1934 को डरबन में मणिलाल गांधी और सुशीला मशरूवाला के घर जन्मे अरुण गांधी एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अपने दादा के नक्शे कदम पर चलते रहे अरुण गांधी बीते दो महीने से कोल्हापुर के अवनी संस्था में ही रहते थे

इस संस्था में बच्चों के साथ हमेशा वह बातें करके अपना वक्त गुजारा करते थे वो बच्चों के बीच महात्मा गांधी जी की विचारधारा पर बात करते थे सोमवार को उन्होंने सुबह से शाम तक संस्था में बच्चों के समय बिताया था इसके बाद रात 11:00 बजे वह अपने रूम में सोने चले गए थे लेकिन सुबह 5:00 बजे के करीब उनकी तबियत बिगड़ गई

दिल का दौरा पड़ने के कारण रूम में ही उनका निधन हो गया. उनकी मौत के बाद संस्था में मौजूद बच्चे रो पड़े बीते दो महीने से वो उसी कमरे में रहते थे जहां उन्होंने अपने दादा महात्मा गांधी की तस्वीर लगा रखी थी अवनी संस्था की प्रमुख अनुराधा भोसले ने बताया कि 2 महीने से उनकी तबियत खराब थी इसी वजह से उनके कमरे में ऑक्सीजन की भी व्यवस्था की गई थी

उनके परिवार में उनके बेटे तुषार, बेटी अर्चना, चार पोते और पांच परपोते हैं अरुण गांधी खुद को शांति का पुजारी कहते थे उन्होंने बेथानी हेगेडस और इवान तुर्क के सचित्र कस्तुरबा, फॉरगॉटन वुमन, ‘ग्रैंडफादर गांधी, ‘ गिफ्ट ऑफ एंगर: एंड अदर लेसन फ्रॉम माई ग्रैंडफादर महात्मा गांधी जैसी किताबें लिखीं उन्होंने अपने दादा के पदचिन्हों पर चलते हुए शांति, सौहार्द की स्थापना के लिए गांधी वादी मूल्यों का सदैव प्रचार किया

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