नई दिल्ली: शहीद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर में गंग नहर के रास्ते हिसाली गांव पहुंचा। इसके पहले गंग नहर से गांव तक जगह-जगह ग्रामीणों का हुजूम जुटा था। शहीद जवान की एक झलक पाने को बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और जवान हर उम्र के नागरिक बेताव दिखाई दिए। शहीद अमरीश की अंतिम यात्रा के दौरान पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी गई। जब तक सूरज चांद रहेगा, अमरीश त्यागी का नाम रहेगा, भारत माता की जय और जय हिंद जैसे नारों से आस-पास का वातावरण रह-रहकर गूंजता रहा। इस दरम्यान सेना के अधिकारियों के अलावा पुलिस-प्रशासन के अफसर, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
3 साथियों के साथ बर्फीली तूफान में लापता हो गया था जवान
हिमालय की संतोपत चोटी (70-75) के पास आखिरी लोकेशन मिली थी। 16 साल पहले 24 अक्टूबर को आगरा से चोटी पर तिरंगा फहराने गए थे। अपनी पोस्ट पर लौटते समय 3 साथियों के साथ बर्फीली तूफान की वजह से लापता हो गए थे। उनके 3 साथियों के शव तो मिल गए थे, लेकिन अमरीश का पता नहीं चला था। लेकिन काफी खोज बीन करने के बाद एक शव बरामद हुआ अमरीश त्यागी का निकला। सेना की बिहार रेजिमेंट के जवान मनोज कुमार, मंटू कुमार यादव, पराधी गणेश, संजय और चंदन कुमार गंगोत्री से शहीद अमरीश का शव लेकर मुरादनगर पहुंचे।
भतीजे ने दी मुखाग्नि
अमरीश का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपट कर मुरादनगर आया था। यह देख उनके परिवार के सदस्य फूट-फूट कर रोने लगे। नाते-रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने उन्हें जैसे-तैसे ढांढस बंधवाया। बाद में पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद अमरीश त्यागी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। भतीजे दीपक ने चाचा अमरीश को मुखाग्नि दी। इस मौके पर उनके भाई रामकिशोर त्यागी, विनेश त्यागी, अरविंद त्यागी के अलावा मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी, तहसीलदार सतीश कुमार के अतिरिक्त विभिन्न राजनीति दलों के नेता और बड़ी तादात में ग्रामीण उपस्थित रहे।