देहरादून: गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष एवं पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. भाग्येश झा अपने दो दिवसीय उत्तराखंड प्रवास पर “भारतीय भाषाओं की स्मृति और समृद्धि” विषयक संगोष्ठी में भाग लेने लेखक गांव (थानों, देहरादून) पहुँचे।
इस अवसर पर उन्हें “लेखक गांव सृजन सम्मान” से सम्मानित किया गया।
डॉ. झा ने अपने उद्बोधन में लेखक गांव की स्थापना को एक विलक्षण कल्पना बताया और कहा कि निकट भविष्य में गुजरात साहित्य अकादमी और लेखक गांव मिलकर भारतीय भाषाओं के संरक्षण, प्रचार-प्रसार और समृद्धि के लिए साझा प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में इंटरनेट आधारित ज्ञान को अध्ययन का प्रमुख स्रोत माना जा रहा है, जबकि भारत की पारंपरिक ज्ञान परंपरा — वेद, पुराण और शास्त्रों में — समृद्ध एवं प्रामाणिक सामग्री मौजूद है। इस पारंपरिक ज्ञान को नवाचार के साथ देश और विदेश तक पहुँचाने की आवश्यकता है।
साहित्य, शोध और संस्कृति के केंद्र के रूप में उभर रहा है लेखक गांव
ज्ञातव्य है कि हाल ही में पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ गुजरात दौरे पर थे, जहाँ उन्होंने गुजरात साहित्य अकादमी के कार्यक्रम में लेखक गांव की परिकल्पना का उल्लेख किया था। इसी कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री ने लेखक गांव आने की उत्सुकता भी प्रकट की थी। उसी क्रम में डॉ. भाग्येश झा और अकादमी के महासचिव डॉ. जयेंद्र यादव उत्तराखंड आए।
डॉ. निशंक ने लेखक गांव को साहित्य सृजन और भावी रचनाकारों के निर्माण का केंद्र बताते हुए कहा कि उत्तराखंड न केवल वेद-पुराणों की जन्मस्थली है, बल्कि आयुर्वेद और अध्यात्म की वैश्विक धरोहर भी है। उन्होंने बताया कि लेखक गांव नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रथम चरण में 10 लाख पुस्तकों के संकलन का लक्ष्य है, जिसमें अब तक 60 हजार से अधिक पुस्तकें संग्रहित की जा चुकी हैं। यह केंद्र शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
पद्मश्री प्रीतम भारतवान ने लेखक गांव को उत्तराखंड की अमूल्य सांस्कृतिक पूंजी बताया। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. बी.के. संजय, डॉ. योगी एरोन, श्रीमती माधुरी बर्थवाल, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. काशीनाथ जेना, पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सविता मोहन, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती’, लेखक गांव के मुख्य कार्याधिकारी ओ. पी. बडोनी सहित देशभर से अनेक वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और वृक्षारोपण के साथ हुआ।