Uttarakhand: दिग्गज नेता दिनेश अग्रवाल कांग्रेस से निष्कासित, भाजपा में हुए शामिल

देहरादून: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस के खेमे में मची भगदड़ रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। पार्टी को एक के बाद एक बड़े झटके लगते ही जा रहे हैं। शनिवार को पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल ने भी कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया था आज अग्रवाल ने भाजपा ज्वाइन कर दी है।

दून की धर्मपुर सीट से विधायक रहे दिनेश अग्रवाल को हरीश रावत का करीबी माना जाता रहा है। अग्रवाल ने ऐसे कठिन समय में कांग्रेस छोड़ी जब हरीश रावत के पुत्र हरिद्वार लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें भी पार्टी की ओर से जारी 40 स्टार प्रचारकों की सूची में स्थान दिया गया था। हालांकि, इस सूची की जारी होने के एक दिन बाद ही दिनेश अग्रवाल ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने रविवार को एक कार्यक्रम में विनोद चमोली, महेंद्र भट्ट, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, सुबोध उनियाल और मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ली।

एक नजर में पूर्व मंत्री दिनेश का राजनीतिक सफर

पूर्व कैबिनेट दिनेश अग्रवाल 1993 और 1996 में उत्तर प्रदेश के समय देहरादून विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हरबंस कपूर से हार गए। राज्य बनने के बाद 2002 व 2007 में लगातार दो चुनाव में उन्होंने लक्ष्मण चौक सीट पर नित्यानंद स्वामी को हराया। फिर 2012 में धर्मपुर विधानसभा सीट पर प्रकाश ध्यानी को हराकर विधायक बने। 2017 के चुनाव में वह भाजपा के विनोद चमोली से हार गए। इसके बाद 2018 में मेयर नगर निगम का चुनाव भी हार गए। इन दो हार के बाद से दिनेश अग्रवाल पार्टी में तो रहे, लेकिन उनकी भूमिका ज्यादा प्रभावशाली नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से उनके बगावती सुर सुनने को मिलने लगे थे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। वहीं इसके बाद प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने पूर्व मंत्री एवं पीसीसी सदस्य दिनेश अग्रवाल और नगर निगम पार्षद राजेश परमार को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।

इस संदर्भ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि जिन नेताओं ने पार्टी से बगावत की थी, उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। दिनेश अग्रवाल भी इसी सूची में शामिल हैं।

 

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