पेंशनकर्मियों के लिए शुरू हुआ डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान

देहरादून: राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 भारत के सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के 100 शहरों में 500 स्थानों पर आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण का प्रतीक है। डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र का फेस ऑथेंटिकेशन सबमिशन पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाणपत्र जमा करना आसान और सुगम बना देगा।

​केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के ‘सुविधापूर्ण जीवन’ सुनिश्चित करने के लिए, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) अर्थात जीवन प्रमाण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहा है। वर्ष 2014 में, बायोमेट्रिक उपकरणों का उपयोग करके डीएलसी जमा करना शुरू किया गया था। इसके बाद, विभाग ने आधार डेटाबेस पर आधारित फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक प्रणाली विकसित करने के लिए मेटी(MeitY) और यूआईडीएआई के साथ काम किया, जिससे किसी भी एंड्रॉइड आधारित स्मार्ट फोन से जीवन प्रमाणपत्र जमा करना संभव हो सके। इस सुविधानुसार, फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित की जाती है और डीएलसी उत्पन्न किया जाता है। नवंबर, 2021 में शुभारंभ की गई इस महत्वपूर्ण तकनीक ने पेंशनभोगियों की बाहरी बायोमेट्रिक उपकरणों पर निर्भरता को कम कर दिया और स्मार्टफोन-आधारित तकनीक का लाभ उठाकर इस प्रक्रिया को जनता के लिए अधिक सुलभ और किफायती बना दिया।

​डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए डीएलसी/फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार के सभी पेंशनभोगियों के साथ-साथ पेंशन संवितरण प्राधिकरणों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने नवंबर, 2022 के महीने में देशभर के 37 शहरों में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया। यह अभियान एक बड़ी सफलता थी और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के 35 लाख से अधिक डीएलसी जारी किए गए। देश भर के 100 शहरों में 500 स्थानों पर 1 से 30 नवंबर, 2023 तक 17 पेंशन संवितरण बैंकों, मंत्रालयों/विभागों, पेंशनभोगी कल्याण संघ, यूआईडीएआई, मेटी के सहयोग से 50 लाख पेंशनभोगियों को लक्षित करते हुए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है।

​यह सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए कि जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के डिजिटल तरीकों का लाभ देश के सुदूर कोनों में पेंशनभोगियों तक पहुंचे और अति वरिष्ठ/बीमार/अशक्त पेंशनभोगियों को भी लाभ मिले, विस्तृत दिशानिर्देशों के साथ एक व्यापक परिपत्र जारी किया गया है जिसमें सभी हितधारक जिनमें भारत सरकार के मंत्रालय/विभाग, पेंशन संवितरण बैंक और पेंशनभोगी संघ शामिल हैं, की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां परिभाषित की गई हैं। इन दिशानिर्देशों में अभियान के लिए हितधारकों द्वारा नोडल अधिकारियों का नामांकन, कार्यालयों और बैंक शाखाओं/एटीएम में रणनीतिक रूप से लगाए गए बैनर/पोस्टर के माध्यम से डीएलसी-फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के बारे में जागरूकता फैलाना/समूचित प्रचार-प्रसार करना, जहां तक हो सके डीएलसी/फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक का उपयोग करना सम्मिलित है। जहां डोरस्टेप बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाया जाता है, वहां बैंक शाखाओं में कर्मचारियों को एंड्रॉइड फोन से लैस करना, ताकि जब पेंशनभोगी जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए शाखा में जाएं तो इस तकनीक का उपयोग किया जा सके, पेंशनभोगियों को बिना किसी देरी के अपने डीएलसी जमा करने में सक्षम बनाने के लिए शिविरों का आयोजन और बीमार और अशक्त पेंशनभोगियों के घर भी जाया जा सके।

​पेंशनभोगी कल्याण संघों को भी डीएलसी जमा करने के लिए पेंशनभोगियों के लिए शिविर आयोजित करने के लिए संवेदनशील बनाया गया है। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के अधिकारी पेंशनभोगियों को उनके जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए विभिन्न डिजिटल तरीकों के उपयोग में सहायता करने के लिए देश भर में प्रमुख स्थानों का दौरा करेंगे।
​पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग इस अभियान को पूरे देश में सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।

​1 से 30 नवंबर 2023 तक राष्ट्रीय डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र अभियान 2.0 के दौरान, सुश्री मधु मनकोटिया, अपर सचिव, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, भारत सरकार, भारतीय स्टेट बैंक(SBI) द्वारा आयोजित जागरूकता शिविरों में भाग लेने के लिए 6 और 7 नवंबर को एसबीआई देहरादून के 5 शाखाओं का दौरा करेंगी।

 

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