सरकारी कार्यों की कछुवा चाल देखनी हो तो कोटद्वार बेस चिकित्सालय में निर्माणाधीन ब्लड सेपरेशन यूनिट को देख लीजिए। दो वर्ष बीत गए, लेकिन आज तक यूनिट का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि, चिकित्सालय प्रशासन की मानें तो स्थानीय स्तर से तमाम तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। अब इंतजार केंद्र से लाइसेंस जारी होने का है। इधर, वर्तमान में भले ही बेस चिकित्सालय में डेंगू का कोई मामला न हो। लेकिन, कब डेंगू का प्रकोप शुरू हो जाए, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में यह तय है कि डेंगू पीड़ित मरीजों को इस मर्तबा भी प्लेटलेट्स के लिए देहरादून की दौड़ लगानी पड़ेगी।
कोटद्वार के राजकीय बेस चिकित्सालय पर पौड़ी जिले की करीब 70 प्रतिशत आबादी निर्भर है। साथ ही उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद और नगीना तहसील के मरीज भी उपचार के लिए यहां पहुंचते हैं। डेंगू मरीज के लिए प्लेटलेट्स सुविधा न होने से चिकित्सक डेंगू की प्राथमिक जांच में पुष्टि होते ही मरीज को देहरादून के लिए रेफर कर देते हैं। इस वजह से रोगियों और तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता था।
इसे देखते हुए शासन ने 2019 में कोटद्वार बेस चिकित्सालय में ब्लड सेपरेशन यूनिट को स्वीकृति प्रदान कर दी। चिकित्सालय प्रशासन ने ब्लड बैंक की छत पर ब्लड सेपरेशन यूनिट के लिए भवन का निर्माण जनवरी 2020 में पूरा कर दिया। निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद शासन ने मशीनों की खरीद के लिए 50 लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी। इसके बाद चिकित्सालय प्रशासन ने मशीनों की खरीद कर उन्हें नवनिर्मित भवन में रख दिया।