ॐ अनन्ताय नम:
इस दिन अनंत भगवान श्री विष्णु भगवान के पूजा कर संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है.
अनंत चतुर्दशी :
हमारे पौराणिक ग्रंथों में भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाने का विधान है। अनंत यानी जिसका अंत न हो। भगवान नारायण का कोई अंत नहीं है इसलिए उन्हें अनंत कहा जाता है। चतुर्दशी वाले दिन उनकी विशेष पूजा का विधान होने के कारण इस तिथि को अनंत चतुर्दशी अथवा अनंत चौदस कहा जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी 19 सितम्बर, रविवार को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान नारायण के निमित्त व्रत किया जाता है। इस व्रत को पुरुष और महिलायें दोनों ही कर सकते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को करने से पुरुषों को लौकिक ऐश्वर्य प्राप्त होता है और महिलाओं को चिर सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है।
कैसे करें पूजा अनंत चतुर्दशी:
अनंत चतुर्दशी वाले दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद पूजा के निमित्त साफ जगह का निर्धारण करें और गंगा जल की कुछ बूंदें ‘ओं श्रीअनंताय नम:’ ‘ओम् श्री विष्णवे नम:’ ‘ओम श्री नारायणाय नम:’ कहते हुए उस स्थान पर गंगा जल या स्वच्छ पानी छिड़कें। फिर इसी स्थान पर कलश की स्थापना करें और भगवान विष्णु की तस्वीर अथवा मूर्ति एक चौकी पर अपने सामने रखें। इसके बाद भगवान विष्णु को चढ़ाने के लिए अनंत सूत्र तैयार करें। इसे तैयार करने के लिये कुमकुम, हल्दी और केसर लगाते हुए इसमें 14 गांठें लगाएंऔर इस सूत्र को भगवान विष्णु को समर्पित करें। सूत्र के बाद मूर्ति पर रोली, मौली, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन, पुष्प, पांच फल, पंचामृत आदि अर्पित करें। इसके बाद पूजन और हवन करें। पूजन के बाद अनंत सूत्र को पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ पर बांध लें। हवन के बाद ब्राह्मणों और निर्धनों को भोजन करवाकर प्रसाद का वितरण करें। यदि संभव हो तो पूजा के बाद सत्यनारायण की कथा का श्रवण भी करना चाहिए। अनन्त-व्रत के सविधि पालन से पाप नष्ट होते हैं तथा सुख-शांति प्राप्त होती है। कौण्डिन्यमुनि ने चौदह वर्ष तक अनन्त-व्रत का नियमपूर्वक पालन करके खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया। अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस जैन धर्मावलंबियों के लिए सबसे पवित्र तिथि है।यह मुख्य जैन त्यौहार, पर्यूषण पर्व का आख़री दिन होता है।