देहरादून: उत्तराखंड में नियुक्तियों में हुई धांधलियों की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। 2017 से लेकर 2022 तक उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियां सवालों के घेरे में है। जिनकी जांच करवाई जा रही है। इन नियुक्तियों में शासन की तऱफ से कार्रवाई की तैयारी हो रही है। शासन ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय में करप्शन, भर्तियों में गड़बड़ियों और अनियमितताओं की जांच विजिलेंस से कराए जाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने तेवरों से ये साफ संदेश देने की कोशिश करते रहें हैं कि वो करप्शन को किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। आयुर्वेद यूनिवर्सिटी को लेकर शासन का बड़ा फैसला भी धामी की इसी पारदर्शी सोच का नतीजा लगता है। बुधवार को शासन ने एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में आयर्वेद विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, गलत तरीके से हुईं भर्तियों और अन्य अनियमितताओं की विजिलेंस जांच के निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि दिलचस्प ये है कि इस यूनिवर्सिटी में शासन स्तर पर पहले भी जांच चल रही है। अपर सचिव के निर्देश पर चार सदस्यों की एक कमेटी पहले से ही जांच कर रही है। लेकिन बताया जा रहा है कि यूनिवर्सिटी के कई बड़े अधिकारी इस कमेटी को जांच में सहयोग नहीं कर रहें हैं। यहां तक कि जरूरी दस्तावेज भी कमेटी को उपलब्ध नहीं कराए जा रहें हैं।
आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में विजिलेंस जांच की तपिश में इस विभाग का जिम्मा संभाल चुके हरक सिंह रावत भी झुलस सकते हैं। हरक सिंह रावत ने पांच साल तक ये विभाग संभाला और उनके कार्यकाल में कई नियुक्तियां इस विभाग में हुईं हैं। कई मामलों में बात हरक सिंह रावत तक पहुंचते पहुंचते रह भी गई। अब जब शासन ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं ।