देहरादून: राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि केदारनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की न तो कोई योजना है और न ही कोई प्रस्ताव। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया है। गुरुवार को चारधाम तीर्थ पुरोहित हखाकुकधारी महापंचायत ने केदारनाथ मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी थी। मामला संज्ञान में आने के बाद शुक्रवार को सचिव संस्कृति हरिचंद्र सेमवाल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के विभागीय अधिकारियों और अधिकारियों की बैठक बुलाई।
सचिव ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज सक्सेना से इस प्रस्ताव के संबंध में जवाब मांगा कि क्या इस संबंध में कोई प्रस्ताव बनाया गया था या शासन स्तर से कोई आदेश जारी किया गया था? इस पर प्रस्ताव या आदेश को अस्वीकार कर दिया गया। सेमवाल ने कहा कि केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए न तो सरकार की ओर से केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव भेजा गया है और न ही भविष्य में ऐसी कोई योजना है। सरकार ने देहरादून संभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि तथ्यात्मक और भ्रामक जानकारी देना उचित नहीं है।
बैठक में निदेशक संस्कृति बीना भट्ट, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहायक अधीक्षक राज किशोर मीणा भी मौजूद थे। निदेशक संस्कृति बीना भट्ट ने कहा कि विभाग के तहत केवल उन्हीं स्मारकों और स्थलों को संरक्षित घोषित किया जाता है, जिनका पुरातात्विक महत्व है। वर्तमान में ऐसे 70 स्मारकों और स्थलों को संरक्षित घोषित किया गया है। जबकि 43 स्मारकों और स्थलों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पत्र जारी कर कहा है कि केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बनाने के प्रस्ताव की जानकारी निराधार है। कहा गया है कि इस संबंध में सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है और न ही इस पर विचार किया जा रहा है।
तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग को भेजे प्रस्ताव पर घोर आपत्ति दर्ज कराई है। गौरतलब है कि पिछले दिनों तीर्थ पुरोहित समाज के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू को भेजे ज्ञापन में कहा है कि शासन व उत्तराखंड सरकार की मंशा यहां की जमीन व भवनों को हड़पने की है। सदियों से चली आ रही परंपरा को समाप्त करने की है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना, तीर्थ पुरोहितों के हित में नहीं है।
तीर्थ पुरोहित संतोष शुक्ला ने कहा कि सदियों से यहां रहकर पूजा-अर्चना कर रहे लोगों से सरकार किसी भी प्रकार की बात तक नहीं करना चाहती है। सरकार अपनी मनमर्जी से मठ-मंदिरों को हड़पने की कोशिश कर रही है। पुरोहितों ने केदारनाथ मंदिर को किसी विशेष व्यक्ति ने नहीं बनाया है। यह स्थानीय तीर्थ पुरोहितों एवं हक-हकूकधारियों की भावनाओं से जुड़ा हुआ धार्मिक स्थल है और करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है। यह कोई टूरिज्म प्लेस नहीं है। बता दें कि उत्तराखंड सरकार चार धाम के तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी नहीं लेना चाहती है।