टिहरी: हिम्मत रखने वालों की राह आसान हो जाती है। हौसला हो तो इंसान बुरे वक्त से बाहर आ सकता है। टिहरी जिले के जाख गांव की 42-वर्षीय मंजू भंडारी मिसाल से कम नहीं है। पिता की मौत के बाद उन्होंने न केवल खुद को संभाला, बल्कि परिवार को संभालने के लिए अल्टो वाहन खरीदकर उसका स्टेयरिंग भी स्वयं थाम लिया। आज वह पहाड़ के पथरीले और जीवन के चुनौती भरे रास्तों पर टैक्सी चलाकर परिवार की आजीविका संभाल रही हैं। अब तो उन्होंने अपने छोटे भाई के लिए भी पिकअप वाहन खरीद लिया है, जिससे वह भी अपनी आजीविका चला रहा है। महज 18 साल की उम्र में पिता गंगा सिंह भंडारी को खोने के बाद तीन बहनों और एक भाई के साथ मां लक्ष्मी देवी की जिम्मेदारी भी मंजू के कंधों पर आ गई।
2014 में मंजू ने अपनी जमा-पूंजी से एक अल्टो वाहन खरीदा। साथ ही उसे चलाने को कामर्शियल लाइसेंस भी बनवा लिया। मंजू की सोच थी कि वह टैक्सी को यात्री सेवा में लगाकर अच्छी-खासी कमाई कर सकती है। साथ ही भाई के लिए भी रोजगार की व्यवस्था हो जाएगी।
इसके बाद मंजू ने टैक्सी चलानी सीखी और जाख से घनसाली के बीच 22 किमी के क्षेत्र में यात्रियों को ले जाने लगीं। इससे ज्यादा लाभ नहीं मिला तो उन्होंने घनसाली से नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर तक के यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे आमदनी बढ़ने लगी तो मंजू ने अपने छोटे भाई सोहन सिंह भंडारी के लिए भी एक पिकअप वाहन खरीद लिया। सोहन अब इस वाहन से अपने परिवार की गुजर कर रहा है। परिवार की खुशी के लिए उन्हेंने खुद शादी नहीं की। मन्जू ने तीनों बहनों की शादी करने के साथ साथ वो अपने भाई सोहन की शादी करवाई।