सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अविवाहित महिलाओं को भी MTP एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार

नई दिल्ली: देश में गर्भपात कानून और इसको लेकर महिलाओं के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में आज एक बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि चाहे विवाहित हों या अविवाहित, देश में सभी महिलाओं को सुरक्षित और कानूनी गर्भपात का अधिकार है।

अदालत ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच गर्भपात के अधिकार को मिटा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी MTP एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है। कोर्ट ने 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को गर्भपात कराने का अधिकार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स के नियम 3-B का विस्तार कर दिया है। बता दें कि सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के एबॉर्शन का अधिकार अब तक विवाहित महिलाओं को ही था । कोर्ट ने कहा कि भारत में गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेद नहीं किया गया है गर्भपात के उद्देश्य से रेप में वैवाहिक रेप भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रजनन की स्वायत्तता गरिमा और गोपनीयता का अधिकार एक अविवाहित महिला को ये हक देता है कि वह विवाहित महिला के समान बच्चे को जन्म दे या नहीं।

अदालत ने कहा कि 20-24 सप्ताह के बीच का गर्भ रखने वाली सिंगल या अविवाहित गर्भवती महिलाओं को गर्भपात करने से रोकना, जबकि विवाहित महिलाओं को ऐसी स्थिति में गर्भपात की अनुमति देना संविधान के अनुच्छेद 14 की आत्मा का उल्लंघन होगा।

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