नई दिल्ली: सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को 9 अप्रैल को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान देंगे। नरेंद्र सिंह नेगी को वर्ष 2018 के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है उनके साथ कला व साहित्य क्षेत्र की 44 अन्य हस्तियों को भी यह पुरस्कार दिया जाएगा।
इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद 13 अप्रैल का नई दिल्ली में ही नेगी दा की एक प्रस्तुति भी होनी है। पारंपरिक लोक संगीत के क्षेत्र में दस कलाकारों का चयन किया गया है, जिनमें नरेंद्र सिंह नेगी भी शामिल हैं। इस सम्मान के तहत उन्हें एक लाख की राशि, अंगवस्त्र और ताम्रपत्र भी दिया जाएगा। नरेंद्र सिंह को यह सम्मान मिलने पर उनके देश विदेश में बसे प्रशंसको में खुशी की लहर है।
एक नजर गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी के जीवन पर…
नरेंद्र सिंह नेगी का जन्म 12 अगस्त 1949 में पौड़ी जिले में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई के बाद अपना करियर भी पौड़ी से ही शुरू किया। पौड़ी में बिखौत यानी बैसाखी के दिन बाजुबंद और झुमैलो जैसे लोकगीत गाए जाते हैं, वहीं से उन्हें गाने की प्रेरणा मिली और उन्हें देखकर ही वह बड़े हुए। नरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि मेरी पांच बहनें और दो भाई थे। मेरे पिता फौजी थे इसलिए सभी भाई-बहनों की जरूरतें पूरी नहीं होती थी। तंग हालत में मैंने कमाना शुरू किया और उसी हालात में मेरे दिल से गीत निकलते थे।
पढ़ाई खत्म करने के बाद नेगी जी ने अपने बड़े भाई से तबला सीखा और 1974 में उन्होने पहला गीत लिखा और कंपोज करा। आकाशवाणी लखनऊ से इनका गाया पहला लोकगीत 1976 में प्रसारित हुआ था। संगीत में नेगी अपना करियर गढ़वाली गीतमाला से शुरु किया और यह गीतमाला 10 अलग-अलग भागों में रिलीज हुई। नेगी जी की पहली एलबम का नाम था बुरांस। नेगी जी सगीत के साथ-साथ गढ़वाल फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं। गढ़वाली की पांच फिल्मों – घर जवैं, कौथिग, बेटी-ब्वारी, बंटवारु और चक्रचाल के गीत लिखे, गाए और इनमें संगीतकार की भूमिका भी निभाई। 1982 में इन्होंने अपने गीतों का पहला ऑडियो कैसेट “ढेबरा हर्चि गेनि” रिलीज किया था। नेगी जी कवितायें भी लिखते है, ‘खुचकण्डि’ और ‘गाण्यिं की गंगा स्याणूं का समोदर’ इनके अब तक प्रकाशित काव्य संग्रह हैं। नेगी जी अभी तक 1000 से ऊपर गाने गा चुके है।
नेगी की प्रमुख एल्बम…
● सल्याण्या स्याली
● रुमुक
● समदोला का द्वी दिन
● नयु नयु ब्यो छो
● नौछमी नारेणा
● माया को मुण्डारो
● कैथे खोज्यानी होली
● धारी देवी
● होंसिया उमर
● हल्दी हाथ
● घस्यारी
● दगिड्या
● छुयाल