पौड़ी गढ़वाल: अन्न जहां का हमने खाया, वस्त्र जहां के हमने पहने वह है प्यारा हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान। आज भी किसी राष्ट्रीय पर्व या कार्यक्रम विशेष के अवसर पर विद्यालयों में विद्यार्थी जब यह नारा लगाते हैं तो उनकी राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना और भी अधिक बलवती हो जाती है। ठीक इसी प्रकार जननी जन्मभूमि के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा और निष्ठा रखने वाले एक बालक की जिज्ञासा जब इतिहास के छात्र के तौर पर भी पूरी नहीं हो पाती तो वह बालक इतिहास के छात्र से इतिहास शिक्षक हो जाता है और पहाड़ प्रेम की यह पराकाष्ठा इतिहास के इस शिक्षक को इतिहासकार का बना देती है। फिर एक दिन भारतीय संस्कृति,इतिहास और पुरातत्व शोध के कार्यों के लिए इस इतिहासकार को भारत सरकार पद्मश्री सम्मान के सम्मानित करती है। यहां पर हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के लब्ध प्रतिष्ठित इतिहासकार डॉक्टर यशवंत सिंह कटोच की। डॉक्टर कटोच को 22 अप्रैल 2024 को राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।
पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर विकासखंड में मासौं गांव निवासी 88 वर्षीय डॉक्टर यशवंत सिंह कटोच को डॉक्टर कटोच सम्मान समिति’ ने मासों गांव में उनके पैतृक निवास स्थान पर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर श्रीनगर से आए श्रीनगर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी, उमा घिल्डियाल, अनिल स्वामी, बुढोली से आए कुंवर सिंह नेगी, देहरादून से आए सेवानिवृत्त अभियंता अर्जुन सिंह पंवार,सीमा सजवाण,दीपा रावत ने डॉक्टर कटोच के इतिहास,शिक्षा, समाज और संस्कृति के क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख किया। साथ ही स्थानीय लोगों ने चौंदकोट जनशक्ति मार्ग के निर्माण और आंदोलन में पद्मश्री डाॅक्टर यशवंत सिंह कटोच के पिताजी स्वर्गीय मकर सिंह रावत के नेतृत्व और योगदान को भी स्मरण किया।
कार्यक्रम का संचालन कर्नल कुंदन सिंह रावत, विजय सिंह रावत, कैलास थपलियाल और अन्य स्थानीय निवासियों ने संयुक्त रूप से किया। ढोल-दमाऊ वाद्य यंत्रों की थाप पर उत्साहपूर्ण वातावरण में आयोजित इस ठेड पहाड़ी आयोजन में महिला मंगल दलों की महिलाओं द्वारा गढ़वाली गीत और नृत्यों की प्रस्तुतियां विशेष आकर्षण का केन्द्र रहीं।