नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड मूल की महिलाओं को “क्षैतिज आरक्षण” देने पर लगाई रोक

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य में 30 फीसदी क्षैतिज महिला आरक्षण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरक्षण की इस व्यवस्था को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि जन्म के आधार पर किसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह संविधान के अनुच्छेद 16ए और 16बी का उल्लंघन है। साथ ही आरक्षण तय करने का अधिकार संसद को है। यह राज्य की शक्ति नहीं है। इसके साथ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है।

अब तक उत्तराखंड सरकार जनरल कोटे से 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही है, जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी गई है। बता दें कि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 18 जुलाई 2001 और 24 जुलाई 2006 के शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है।

गौरतलब है कि हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गए हैं। कोर्ट ने इस मामले राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग से 7 अक्टूबर तक जवाब मांगा है।

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