दीपक खंकरियाल की कलम से…
किशोर उपाध्याय आज टिहरी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। हम उनको इस बार ही नहीं पिछले चुनाव में भी टिहरी से उम्मीदवार चाहते थे। तब कांग्रेस ने करना था, इस बार भी कांग्रेस ने ही करना था लेकिन हालात बदल गए। बदलने ही चाहिए थे। बदलाव भले के लिए होना चाहिए। हर फील्ड में। राजनीति को हमें सकारात्मक लेना चाहिए। राजनीति के बगैर जीवन नहीं है, घर बार भी नहीं है। हम अपने परिवार को सकारात्मक एनर्जी भी बहु, सास, माता पिता, बेटा बेटी के बीच सकारात्मक राजनीति से ही देते हैं। बीवी सब्ज़ी बनाती है और पति को पसंद नहीं आती तो बीवी एक राजनीति के तहत ही उसका उत्तर देकर पति को समझा देती है। पति देर से घर पहुंचता है तो वो अगर झूठ बोलता है तो वो भी पॉलिटिक्स है। जब घर में राजनीति है तो समाज इससे अछूता कैसे रहेगा। जब किसी ने समाजसेवा को चुना और सदा ईमानदारी से वही काम करने की ठानी तो उसके लिए भी राजनीति में आना ही पड़ेगा। किशोर जी ने यही किया। 40 साल से कांग्रेस में रहे। उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री रहे, उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। आखिर कांग्रेस छोड़नी पड़ी। सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनके फैसले को गलत बात रहे हैं तो कुछ ठीक। गलत बताने वालों की तादाद ज़्यादा है। आखिर गलत क्यों है ये फैसला? 40 साल की निष्ठा और विचारधारा का साथ क्यों छूटा?. कहानी सिर्फ हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद कि ही है। किशोर जी पार्टी मुखिया थे, लेकिन जो गब्बर था उसने उत्तराखंड कांग्रेस की शोले में खुद को ठाकुर मानते हुए काम किया। ठाकुर ने गब्बर के ही हाथ काट डाले। फिर? हरीश रावत संगठन को अपनी जागीर बनाकर काम करने लगे और संगठन के लोगों को कमज़ोर करने लगे। हमेशा किशोर से ऊपर संगठन में भी खुद को। खैर, वक्त गुज़रा। 2017 चुनाव आये। किशोर जी को टिहरी से लड़ने ही नहीं दिया। जानबूझकर सहसपुर पटका ताकि राजनीतिक मौत हो जाये। ऊपर से आरेन्द्र को पीछे लगवा दिया अपने कुकर्मों से। इस बार बर्बाद करने के लिए सारे हथकंडे इस्तेमाल किये।
अब किशोर क्या करते? क्या अलग दल बनाते? क्या आप में जाते या ukd में? अलग दल से अच्छा पलायन था। जाना तो था। अब bjp चुनी। गलत क्या है? किशोर जी की पार्टी अलग है, लेकिन मुझे व्यक्तिगत तौर पर यही विश्वास है कि उनकी पहाड़ के प्रति विचारधारा वही हैंऔर रहेगी। उनको पहाड़ के लिए काम करना है, वो करेंगे और ये सब तभी संभव है जब वो जनप्रतिनिधि रहें, सदन में रहें। चाहे सरकार में रहें या विपक्ष में। मुझे तो गर्व है कि हमारे पास किशोर उपाध्याय जैसा नायक है। हरीश की बन चुकी कांग्रेस को नहीं था ये उसका दुर्भाग्य है। BJP को बधाई।