हिंदी साहित्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाली मन्नू भंडारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. भंडारी का 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह करीब 10 दिन से बीमार थीं। उनका हरियाणा के गुरुग्राम के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां आज दोपहर को उन्होंने अंतिम श्वांस ली। उनके निधन की जैसी ही जानकारी हुई साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
बता दें कि हिंदी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार दिवंगत राजेंद्र यादव की धर्मपत्नी मन्नू भंडारी के लिखी गई किताबों पर कई हिंदी फिल्में भी बनी थी। प्रसिद्ध साहित्यकार मन्नू भंडारी ने अपनी कहानियों से लेकर उपन्यास लेखने के लिए एक अलग पहचान बनाई। सच्ची घटनाओं और पात्रों को केंद्र में रखकर उन्होंने हर उपन्यास में, हर कहानी में जो साहित्यिक तानाबाना बुना उसमें सच्चाई, जीवन मूल्यों, पारिवारिक संबंधों और सामाजिक मान्यताओं का आईना मिलता आता है।
मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में 3 अप्रैल, 1931 को हुआ था। उनके माता-पिता ने उन्हें महेंद्र कुमारी नाम दिया था। लेकिन लिखने पढ़ने वाले पेशे में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर मन्नू कर दिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज में मन्नू भंडारी ने लंबे समय तक पढ़ाने का काम भी किया। मन्नू भंडारी की किताबों पर फिल्में भी बनी हैं। उनकी कहानी ‘यही सच है’ पर 1974 में ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनाई गई। बासु चटर्जी ने इस फिल्म को बनाया था। ‘आपका बंटी’ उनकी मशहूर रचनाओं में से एक है। इसके अलावा मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘यही सच है’, ‘आंखों देखा झूठ’ और ‘त्रिशंकु’ ‘जैसी कालजयी रचनाएं लिखी हैं।
मन्नू भंडारी को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए शिखर सम्मान समेत कई बड़े अवॉर्ड मिले। उन्होंने भारतीय भाषा परिषद कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार हासिल किए।
हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर
मन्नू भंडारी के निधन के बाद से ही हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर है। सोशल मीडिया पर उनके फैंस उनके लिए अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इसके अलावा राजनेताओं से लेकर दूसरी बड़ी हस्तियां भी अपना शोक व्यक्त कर रही हैं।