देहरादून: उत्तराखंड बोर्ड में 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा में टॉप करने वाले विद्यार्थियों को 25-25 हजार रुपये का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। मंगलवार को प्रेदश के शिक्षा स्वास्थ्य एवं सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने रुद्रपुर में आयोजित राज्य स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता के शुभारंभ के दौरान यह घोषणा की. इसके साथ ही डॉ. रावत ने कई अन्य घोषणायें भी की।
डा. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में अब 10वीं और 12वीं के टॉपर छात्रों को 25 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि और एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त विद्यालयों में भी निशुल्क किताबें वितरित की जाएंगी। उन्होने कहा कि प्रत्येक ब्लॉक में 2-2 पीएम स्कूल खोले जायेंगे। इन स्कूलों में विश्व स्तर की सुविधाऐं छात्र-छात्राओं की दी जायेंगी। हर नगर निगम क्षेत्र में पीएम श्री योजना के तहत दो खेल मैदान बनाए जाएंगे और सभी विद्यालयों में खेल का सामान दिया जाएगा। साथ ही हर बच्चे की हेल्थ आईडी बनाई जाएगी और प्रदेश के 40,00000 बच्चों को निशुल्क इलाज दिया जाएगा। सरकार ने हर बच्चे को पूर्ण साक्षर बनाना लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 400 इंटर कॉलेजों में व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे और शिक्षकों को टेबलेट वितरित किए जाएंगे। हर साल 25 बच्चे कर्नाटक, केरल आदि दूसरे राज्यों में जाकर वहां पर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे और दूसरे राज्यों के बच्चे उत्तराखंड पहुंचेंगे।
डॉ. रावत ने कहा कि हमारे प्रदेश में लगभग 12 लाख बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे है। उन सभी बच्चों को स्कूल बैग, किताबें, खेल का सामान दिया जायेगा, हर स्कूल में बालक, बालिका एवं दिव्यांगजनों के लिए शौचालय की व्यवस्था होगी, शिक्षकों की कमी नही होने दी जायेगी और विद्यालय का व्यापक स्तर पर सुधार करने का कार्य किया जायेगा। ताकि हमारे बच्चे प्रतिस्पर्धा में देश-विदेश में मुकाबला कर सके।
23 हजार प्राइमरी शिक्षकों को मिलेंगे टैबलेट-
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय के लगभग 23 हजार शिक्षकों को 10-10 हजार रूपये का एक टैबलेट फोन भी दिया जायेगा ताकि वे अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए आईटी का प्रयोग कर सके। वहीं, राज्य स्तरीय क्रीडा प्रतियोगिता को लेकर शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि अब हर साल खेल महाकुंभ का आयोजन होगा, ताकि बच्चों में खेल की भावना बढ़ सके।