शीतकाल के लिए बंद हुए बद्रीनाथ धाम के कपाट, जयकारों से गुंजायमान हो उठा धाम

देहरादून: बदरीनाथ धाम (Badrinath Temple) के कपाट शीतकाल में 6 महीनें के लिए आज 20 नवंबर मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गये। इस अवसर पर बद्रीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा श्री बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया था। बदरीनाथ धाम की सुदूर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है जिससे बदरीनाथ धाम में भी तापमान कम है तथा मौसम सर्द बना हुआ है।

आज प्रात: ब्रह्ममुहुर्त में श्री बदरीनाथ मंदिर के द्वार खुल गये थे। भगवान बदरीविशाल जी की अभिषेक पूजा हुई।कुछ देर पूजा-अर्चना एवं दर्शन पश्चात बाल भोग समर्पित किया गया ,श्रद्धालुओं ने दर्शन किये दिन का भोग प्रसाद चढाया गया। विष्णुसहस्त्रनाम पूजाएं तथा शयन आरती संपन्न हुई। शाम साढे चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी । इसके पश्चात शाम साढे पांच बजे श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी, एवं गरूड़ जी के मंदिर गर्भ गृह से बाहर मंदिर परिसर में आते ही रावल जी द्वारा स्त्रैण भेष धारणकर मां लक्ष्मी को मंदिर भगवान बदरीविशाल के समीप विराजमान किया‌। सीमांत पर्यटन ग्राम माणा के महिला मंडल द्वारा भगवान बदरीविशाल को भेंट किया गया ऊन से बना घृत कंबल भगवान श्री बदरीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल जी द्वारा गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिये गये। इस अवसर पर रावल जी सहित श्रद्धालुगण भी भावुक हो गये तथा रावल जी समारोह के साथ के मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर की तरफ प्रस्थान हुए शाम 6 बजकर 45 मिनट पर भगवान बदरीविशाल मंदिर का मुख्य द्वार शीतकाल हेतु बंद कर दिया गया। इस दौरान सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियां बदरीनाध धाम में गुंजायमान होती रही।

गर्भ गृह में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जी द्वारा इस तरह कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की गयी। इस अवसर पर कपाट बंद होने का संपूर्ण कार्यक्रम उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह की देखरेख में संपन्न हुआ। इस अवसर पर सेना के बैंड एवं मसकबीन की भक्तिमय धुनों से श्री बद्रीपुरी गुंजायमान हो रही थी सेना ने आगंतुक तीर्थयात्रियों हेतु भंडारे लगाये । ऋषिकेश/ मेरठ/ दिल्ली/ गोपेश्वर के दानीदाताओं ने भंडारे आयोजित किये। स्थानीय माणा, बामणी,पांडुकेश्वर की महिला भजन मंडलियों ने भगवान बदरीविशाल के भजन, झूमेलो कार्यक्रम प्रस्तुत किये। उल्लेखनीय है कि मंगलवार 16 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हुई थी। पंच पूजाओं में 16 नवंबर को गणेश जी की पूजा एवं कपाट बंद हुए 17 नंवंबर को आदिकेदारेश्वर जी कपाट बंद हुए तथा 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन, वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया गया, 19 नवंबर चौथे दिन मां लक्ष्मी जी का आव्हान,पांचवे दिन आज 20 नवंबर को कपाट बंद हो गये।इस अवसर पर चार हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के गवाह बने।

कपाट बंद होने के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का बदरीनाथ कार्यालय अब शीतकाल हेतु जोशीमठ से संचालित होगा। भगवान बदरीविशाल के खजाने के साथ श्री गरूड़ भगवान की विग्रह प्रतिमा श्री बदरीनाथ धाम से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ भविष्य बदरी मंदिर सुभाई तपोवन(जोशीमठ) तथा मातामूर्ति मंदिर माणा सहित श्री घ़टाकर्ण मंदिर माणा के कपाट तथा बदरीनाथ धाम में अधीनस्थ मंदिरों के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये हैं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्री घंटाकर्ण महाराज जी, भगवान बदरीविशाल के प्रधान क्षेत्रपाल कहलाते है शीतकाल हेतु 16 नवंबर को भगवान घंटाकर्ण जी की मूर्ति को मूल मंदिर से पश्वाओं द्वारा अज्ञात स्थान पर शीतकाल हेतु विराजमान कर दिया गया। ओर माणा गांव स्थित श्री घंटाकर्ण मंदिर के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये। इस अवसर पर माणा ग्राम में पारंपरिक उत्सव भी आयोजित हुआ जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल हुए।

आज श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद कल प्रात: 21 नवंबर श्री उद्वव जी एवं कुबेर जी रावल जी सहित आदिगुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी के साथ रात्रि प्रवास हेतु योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी।
श्री कुबेर जी अपने पांडुकेश्वर स्थित मंदिर में तथा उद्धव जी श्री योग -बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान में हो जायेंगे जबकि 22 नवंबर को रावल जी एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान होंगे।इसके साथ ही योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह मंदिर जोशी मठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू होंगी। प्रदेश के राज्यपाल लेप्टिनेंट जनरल ( सेवानिवृत्त) गुरूमीत सिंह तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल समापन पर देश- विदेश के श्रृद्धालुओं को शुभकामनाएं दी है प्रसन्नता जताई कहा कि चारधाम यात्रा कोरोनाकाल के बावजूद सफल रही। पूर्व‌मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को बधाई दी।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहित किया जायेगा। देवस्थानम उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्य सभा सांसद मनोहर कांत ध्यानी,विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, चारधाम विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिवप्रसाद ममगाई सहित विधायक बदरीनाथ /देवस्थानम बोर्ड के सदस्य महेंद्र भट्ट, देवस्थानम बोर्ड सदस्य आशुतोष डिमरी एवं श्रीनिवास पोस्ती,गोविंद सिंह पंवार सहित सभी सदस्यगणों ने कपाट बंद होने के अवसर पर बधाई दी है।
मुख्य सचिव डा. एस एस. संधू ने कहा की चारधाम यात्रा कई चुनौतियों के बावजूद सामूहिक प्रयासों से पटरी पर आयी। धर्मस्व सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में देश विदेश के तीर्थयात्री पहुंचे।

आयुक्त गढ़वाल/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्ड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड श्री रविनाथ रमन ने कहा कि चारों धामों के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। चारधाम यात्रा का सफल समापन हो रहा है।चारधाम में रिकार्ड पांच लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे है। कपाट बंद होने के अवसर पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के सदस्य श्रीनिवास पोस्ती, वरिष्ठ पत्रकार देवस्थानम बोर्ड के सदस्य आशुतोष डिमरी, अपर आयुक्त गढ़वाल नरेन्द्र क्विरियाल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी. सिंह सहित धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल एवं आचार्य गण,उप जिलाधिकारी जोशीमठ कुम कुम जोशी, उपजिलाधिकारी अजयबीर सिंह पीतांबर मोल्फा, डा. हरीश गौड़, सहित सेना, पुलिस आईटीबीपी, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी कर्मचारीगण, तीर्थ पुरोहित एवं हजारों की संख्या में तीर्थयात्री मौजूद रहे। इस वर्ष कुल 197056 तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किये।

 

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