- नवप्रवेशी छात्रों ने लिया संकल्प सपनों को साकार कर दिखाएँगे
देहरादून: श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय दीक्षारंभ कार्यक्रम का समापन मंगलवार को उमंग और उत्साह से सराबोर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच हुआ। नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं ने जहाँ अपने सपनों और आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति दी, वहीं वरिष्ठ छात्रों की प्रस्तुतियों ने समारोह को अविस्मरणीय बना दिया। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के वरिष्ठजनों के सफलता मंत्रों से प्रेरित होकर नवप्रवेशियों के चेहरों पर आत्मविश्वास और उम्मीद की नई चमक दिखाई दी। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के माननीय प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सभी नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं को उज्जवल भविष्य की बधाई एवम् शुभकामनाएं दीं।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय दीक्षारंभ कार्यक्रम का समापन मंगलवार को सांस्कृतिक रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुआ। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के सभागार में दीक्षारंभ कार्यक्रम के दूसरे दिन का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डॉ. कुमुद सकलानी, रजिस्ट्रार डॉ. लोकेश गम्भीर तथा छात्र कल्याण अधिष्ठाता, प्रोफेसर डॉ मालविका कांडपाल के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) कुमुद सकलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देना भी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सदैव नई तकनीकों और आधुनिक शोध पद्धतियों को अपनाते हुए छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में अग्रणी रहा है। आईसीएआर मान्यता विश्वविद्यालय की शैक्षिक उत्कृष्टता का प्रमाण है। उन्होंने नवप्रवेशी छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि वे उच्च आदर्शों, मानवीय मूल्यों और नवीन सोच के साथ अपने सपनों को साकार करें और समाज एवं देश के विकास में सहभागी बनें।
कुलसचिव डॉ. लोकेश गंभीर ने नवप्रवेशी छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि मेहनत ही हर उपलब्धि की सच्ची नींव है, और वही व्यक्ति सफलता का हकदार बनता है जो चुनौतियों का डटकर सामना करता है। उन्होंने छात्रों से हर अवसर को पहचानने, जागरूक बने रहने और अपनी जिज्ञासा को जीवित रखने का आह्वान किया, क्योंकि जिज्ञासा ही सृजन और नवाचार का मूल है।
इसी क्रम में विश्वविद्यालय के समन्वयक डॉ. आर.पी. सिंह ने छात्रों को जीवन में बड़ा उद्देश्य निर्धारित करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि अनुशासन, समय प्रबंधन और एकाग्रता ही वह आधारशिला हैं, जिन पर भविष्य की ऊँचाइयाँ निर्मित होती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य पर फोकस बनाए रखते हुए उसे प्राप्त करने के लिए सतत प्रयासरत रहने की सलाह दी।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) शोभित गर्ग ने नवप्रवेशी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ाई के दौरान तनाव को सामान्य मानकर टालना नहीं चाहिए, बल्कि सही प्रबंधन सीखना चाहिए। उन्होंने समझाया कि समय प्रबंधन और संतुलित दिनचर्या तनावमुक्त जीवन की कुंजी हैं। जैसे कि यदि कोई छात्र परीक्षा की तैयारी को अंतिम समय तक टाल देता है तो उस पर अचानक दबाव बढ़ जाता है, जबकि रोजाना थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई करने से यह बोझ आसानी से कम किया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मोबाइल और सोशल मीडिया का अति प्रयोग भी चिंता और अनिद्रा का बड़ा कारण है, इसलिए अध्ययन और विश्राम के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। डॉ. गर्ग ने छात्रों से खेल-कूद, योग, ध्यान और रुचि के कार्यों को दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी ताकि वे मानसिक रूप से स्वस्थ और एकाग्र रह सकें। उन्होंने कहा कि तनाव से बचना कठिन नहीं, बल्कि सही आदतें अपनाकर उसे अवसर में बदलना संभव है।कार्यक्रम के अंत में समन्वयक एवं विश्वविद्यालय की डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रोफेसर यडॉण्द्ध मालविका कांडपाल ने सभी अतिथियोंए शिक्षकोंए कर्मचारियों तथा छात्र.छात्राओं का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दीक्षारंभ कार्यक्रम तभी सफल हो पाया जब सभी समितियों के सदस्यों ने निष्ठाए परिश्रम और समर्पण भाव से अपना योगदान दिया। डॉण् कांडपाल ने विशेष रूप से उन सीनियर छात्रों की सराहना कीए जिन्होंने अपनी प्रस्तुतियों और सहयोग से नवप्रवेशी छात्रों का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सामूहिक प्रयास की ऊर्जा से विश्वविद्यालय परिवार आने वाले शैक्षिक सत्र को और अधिक ऊँचाइयों पर ले जाएगा।