नैनीताल: खानपुर विधायक उमेश कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर राजद्रोह और त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है तो दूसरी ओर नैनीताल हाईकोर्ट ने उमेश कुमार के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका फिर से स्वीकार कर ली है।
हाईकोर्ट ने निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के खिलाफ विधानसभा चुनाव से जुड़े हलफनामे में कुछ तथ्य छुपाने सम्बन्धी याचिका को पूरी तरह पोषणीय (मेंटनेबल) माना है। विधायकी से जुड़े इस चर्चित मुद्दे पर अब हाईकोर्ट ‘डे टू डे’ सुनवाई करेगा। अब मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।
इस मुद्दे पर सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से वक़ील पूरन सिंह रावत, आइ। एम कूदुस्सी ने अदालत में इस मामले पर अपना पक्ष रखा। अदालत ने अब यह साफ़ कर दिया कि हलफनामे में तथ्य छुपाने सम्बन्धी चुनाव याचिका पूरी तरह से पोषणीय है। और तीन दिन के अंदर सभी गवाह और साक्ष्य याचिकाकर्ता की ओर से रिकॉर्ड पर लिए जाएंगे और सुने जाएंगे । इसके बाद 29 नवंबर से यह मामला “डे टू डे हियरिंग” के हिसाब से सुना जाएगा।
क्या है पूरा मामला-
वीरेंद्र चौधरी व भावना पांडे ने खानपुर विधायक उमेश कुमार के नामांकन में दिए गए शपथ पत्र में कई तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है। याचिका में उमेश कुमार के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन 29 आपराधिक मामलों की सूची दी गई है। जिसमें कहा गया है कि उमेश शर्मा ने केवल 16 मामलों की सूची ही शपथ पत्र के साथ निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश की है, जबकि मुख्य अपराध को छुपाया गया है।
याचिका में ये भी कहा गया है कि उमेश कुमार की ओर से वोटरों को प्रभावित करने के लिए पुलिस के साथ मिलकर पैसे बांटे गए। इसलिए उनके चुनाव को निरस्त किया जाए।
बता दें कि उमेश कुमार हरिद्वार की खानपुर सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए हैं। इससे पहले उमेश कुमार का नाम पूर्व सीएम हरीश रावत के स्टिंग के साथ भी जुड़ा था। इसके अलावा इनदिनों उमेश कुमार का त्रिवेंद्र रावत से जुड़ी एसएलपी का मामला भी सुर्खियों में है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 4 जनवरी को सुनवाई होनी है।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम निशंक ने अपने कार्यकाल (जून 2009 से oct 2011) उमेश कुमार को तड़ीपार करते हुए इनाम घोषित किया था। यही नहीं, इनाम से जुड़े विज्ञापन राष्ट्रीय अखबारों में भी छपवाए थे।
यही नहीं, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नवंबर 2018 में उमेश कुमार पर ब्लैकमेलिंग ,दलाली आदि आरोप लगाते हुए राजद्रोह की धाराएं ठोक कर जेल डाल दिया था।
2018 में त्रिवेंद्र रावत ने उमेश कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर जेल में डाला था। उस समय वॉयरल ऑडियो में उमेश कुमार सरकार गिराने की कोशिश में खर्च हुए लाखों रुपए समेत कई बातें बोल रहा था।
पूर्व सीएम हरीश रावत का स्टिंग कर उनकी राजनीति खतरे में डाल चुका उमेश कुमार पर हरदा भी ब्लैकमेलिंग आदि का खुलकर आरोप लगा रहे हैं।