उत्तरकाशी हिमस्खलन में जिंदा बचे टीम लीडर की आंखों देखी, इस तरह बचाई अपनी और साथियों की जान

  • टीम लीडर ने सुनाया उत्तरकाशी हादसे का आंखों देखा हाल
  • हादसे के बाद अब तक 26 शव बरामद किए जा चुके हैं

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन कई जिंदगियां अभी भी बर्फ में दबी हुई हैं। इस घटना के 80 घंटे से ज्यादा गुजर चुके हैं लेकिन अबतक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ है। इस हादसे में मरने वालों की संख्या अब 26 पहुंच गई है। यहां अभी तक 3 लोगों के और फंसे होने की आशंका है।

मंगलवार को 17,000  फीट की ऊंचाई पर स्थित द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर हुए हिमस्खलन में करीब 56 ट्रैकर्स फंस गए थे। इनमें से अबतक 26 लोगों की मौत हो चुकी है।  नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (निम) का डोकरानी बामक ग्लेश्यिर में द्रोपदी डांडा-2 पहाड़ी पर बीते 22 सितंबर से बेसिक/एडवांस का प्रशिक्षण चल रहा था। इसी दौरान मंगलवार को यहां पर एवलांच हुआ और 56 पर्वतारोही फंस गए।

आईटीबीपी पीआरओ विवेक पाण्डेय के मुताबिक ऊंचाई पर बने एडवांस हेलीपैड पर बचाव कार्य के लिए हेलिकॉप्टर मौजूद है। पर्वतारोहियों के डेडबॉडी इसी बेस पर मौजूद हैं, उनमें से कुछ को मौसम ठीक होने पर मातली लाने की उम्मीद है।

इस टीम को लीड कर रहे नायब सूबेदार अनिल कुमार लीड कर रहे थे। हिमस्खलन में वो भी दब गए थे, उन्हें अभी रेस्क्यू कर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने समाचार एजेंसी से कहा, “टीम में 42 क्लाइंबर थे, जिसमें 34 ट्रेनी थे। मैं टीम को लीड कर रहा था। इंस्ट्रक्टर सविंता कंसवाल और नौमी रावत मेरे पीछे थे जबकि बाकी लोग हमारे पीछे पीछे आ रहे थे। अचानक बर्फ का तूफान सा आया… बस कुछ ही सेकेंड में सब चीजें बर्फ की मोटी चादर में ढक गईं क्योंकि मैं दूसरे लोगों से आगे था। जैसे ही हिम स्खलन शुरू हुआ मैं एक दरार पर बायीं तरफ लटक गया, जब धीरे धीरे बर्फ का खिसकना बंद हुआ तो मैंने खुद की रस्सियां खोली और अपने टीम के दूसरे सदस्यों को रेस्क्यू करना शुरू किया। दूसरे इंस्ट्रक्टर भी रेस्क्यू के लिए वहां आए।

उन्होंने कहा कि चूंकि हमारे पास बर्फ हटाने के लिए औजार नहीं थे तो हम बहुत मुश्किल से काम करते रहे और बर्फ हटाने में हमें 2 घंटे लगे। बर्फ हटाने के बाद जो हमें नजर आ रहे थे उन्हें हम ने निकाला, फिर भी हमारे 29 टीम मेंबर बर्फ की दरारों में फंस गए थे।

 

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