हरिद्वार: श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी ने श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत की एसआइटी जांच हाईकोर्ट के पांच सदस्यीय जज के पैनल की निगरानी में किए जाने की मांग की है। साथ ही सुसाइड नोट को फर्जी बताते हुए, मौत को हत्या बताया है।
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने श्रीमहंत नरेंद्र गिरि मौत को हत्या करार दिया
श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मौत को हत्या करार देते हुए कहा कि जिस कमरे में वह मृत मिले, वह उनका कमरा नहीं था। वह अपने ही बिस्तर और कमरे में सोते थे। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस कमरे में उनका शव मिला उसका दरवाजा टूटा हुआ नहीं पाया गया, इससे साफ है कि वह अंदर से बंद नहीं था, दरवाजे के तोड़े जाने, उसे धक्का देकर खोले जाने की बात गलत व बेबुनियाद है। हत्या के राज पर पर्दा डालने को तैयार की गई है।
कुछ शब्द छोड़कर लिखना नहीं आता था- स्वामी कैलाशानंद गिरि जी
उन्होंने श्रीमहंत के सुसाइड नोट को भी फर्जी करार दिया। कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और उनका साथ 25 से 30 वर्ष पुराना था। उन्होंने दावा किया कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि को दो-चार या कुछ शब्द छोड़कर लिखना नहीं आता था और न ही उन्हें लिखने का कोई अभ्यास ही था। इसलिए श्रीमहंत का आत्महत्या करने से पहले आठ पेज का सुसाइड नोट लिखना न सिर्फ समझ से परे, बल्कि गलत है।
सुसाइड नोट में महंत की लिखावट नहीं– स्वामी कैलाशानंद गिरि जी
उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि जी महाराज पत्र नहीं लिखते थे। मैं 2003 से उनके मठ से जूड़ा हुआ था। वह हस्ताक्षर भी बहुत मुश्किल से करते थे। महाराज जी के हस्ताक्षर के सभी शब्द अलग-अलग होते थे जब कि जो सुमाइड नोट मिला है उस में बडे टेक्निकल शब्द लिखे हैं ऐसा लग रहा है पत्र किसी विद्वान व्यक्ति ने लिखा हो।