जनाधिकारों को स्वराज आंदोलन चलाने पर जोर

उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में उत्तराखंड की जनता को उसके अधिकार दिलाने के लिए स्वराज आंदोलन की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही पहाड़ी परिस्थिति के अनुरूप सरकार से पहाड़ के विकास की नीति बनाने की मांग की गई।

तड़ियाल चौक स्थित एक वेडिग प्वाइंट में आयोजित गोष्ठी में सेवानिवृत्त आयुक्त एसएस पांगती ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को आज तक उसके अधिकार नहीं मिले हैं। इसके लिए स्वराज आंदोलन चलाने की जरूरत है। कहा कि संविधान की धारा 73 व 74 में संशोधन कर ग्राम व नगर पंचायतों को शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता है। ऐसा करने पर ही ग्राम व नगर पंचायतों में रोजगार के अवसर बढ़ पाएंगे। कहा कि खनन का अधिकार नगर निगम, नगर व ग्राम पंचायतों को दिया जाना चाहिए ताकि उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो पाए।

संगठन के अध्यक्ष डा. शक्तिशैल कपरवाण ने कहा कि राज्य गठन की लड़ाई मौलिक विकास के साथ ही संस्कृति की रक्षा व रोजगार के लिए लड़ी गई। आज भी राज्य के पास रोजगार सृजन करने के लिए पर्याप्त संपदा है। जरूरत जनता को कानूनी अधिकार देकर इसका वैज्ञानिक रूप से दोहन करने की है। पीसी थपलियाल ने तीर्थाटन को रोजगार से जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया। केंद्रीय उपाध्यक्ष दीपक गैरोला ने कहा कि उनका संगठन राजनीतिक दलों को शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाने के लिए मजबूर करेगा। केंद्रीय प्रवक्ता प्रवेंद्र सिंह रावत ने संगठन का 12-सूत्रीय मांग पत्र आमजन के समक्ष रखा।

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